मुख्य परीक्षा उत्तर लेखन अभ्यास (Mains Answer Writing Practice)
GS 3
टॉपिक: कृषि (Agriculture)
शब्द सीमा: 250 शब्द प्रति उत्तर
📌 प्रश्न 1:
“भारतीय कृषि में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव क्या है? इसके प्रभावों को कम करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?”
🔎 प्रश्न का विश्लेषण (Breakdown of Question)
✅ मुख्य विषय: भारतीय कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
✅ सब-पार्ट 1: जलवायु परिवर्तन के प्रभाव (सकारात्मक/नकारात्मक)
✅ सब-पार्ट 2: प्रभावों को कम करने के लिए उपाय
📋 उत्तर की रूपरेखा (Answer Outline)
- भूमिका (Introduction): जलवायु परिवर्तन और भारतीय कृषि का संक्षिप्त परिचय
- मुख्य भाग (Main Body):
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव (फसल उत्पादन, जल संकट, कीट रोग, खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव)
- समाधान के उपाय (सिंचाई सुधार, जलवायु अनुकूल फसलें, जैविक खेती, किसानों को जागरूक करना आदि)
- निष्कर्ष (Conclusion): संतुलित निष्कर्ष जिसमें दीर्घकालिक समाधान का सुझाव हो
📝 मॉडल उत्तर (Model Answer)
भूमिका:
जलवायु परिवर्तन वैश्विक स्तर पर एक गंभीर चुनौती बन चुका है, जिसका भारतीय कृषि पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। भारत की अधिकांश कृषि वर्षा पर निर्भर है, इसलिए जलवायु परिवर्तन का प्रभाव किसानों के जीवन पर सीधा पड़ता है।
मुख्य भाग:
❗ जलवायु परिवर्तन के प्रभाव:
- 🌾 फसल उत्पादन में गिरावट: बढ़ते तापमान और अनियमित वर्षा के कारण फसल उत्पादन प्रभावित होता है।
- 💧 जल संकट: भूजल स्तर में गिरावट और सूखा जैसी स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।
- 🐛 कीट एवं रोग: तापमान वृद्धि के कारण फसलों में नए रोग एवं कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है।
- 🍚 खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव: उत्पादन में कमी के कारण खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो सकता है।
✅ समाधान के उपाय:
- 🌊 सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली जैसे ड्रिप एवं स्प्रिंकलर तकनीक को अपनाना।
- 🌾 जलवायु अनुकूल फसलें (Climate Resilient Crops) उगाना।
- 📈 फसल बीमा योजना का प्रभावी क्रियान्वयन।
- 🚜 कृषि वैज्ञानिकों एवं किसानों के बीच समन्वय को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष:
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाना आवश्यक है। वैज्ञानिक नवाचार, कृषि सुधार योजनाएं और किसानों का सशक्तिकरण इस चुनौती से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
📌 प्रश्न 2:
“भारत में जैविक खेती के महत्व और इससे जुड़े प्रमुख लाभों पर प्रकाश डालते हुए इसके प्रसार में आ रही चुनौतियों का विश्लेषण करें।”
🔎 प्रश्न का विश्लेषण (Breakdown of Question)
✅ मुख्य विषय: जैविक खेती का महत्व
✅ सब-पार्ट 1: जैविक खेती के लाभ
✅ सब-पार्ट 2: जैविक खेती के प्रसार में चुनौतियाँ
📋 उत्तर की रूपरेखा (Answer Outline)
- भूमिका (Introduction): जैविक खेती का संक्षिप्त परिचय
- मुख्य भाग (Main Body):
- जैविक खेती के लाभ (मृदा उर्वरता, स्वास्थ्य लाभ, पर्यावरणीय लाभ)
- जैविक खेती के प्रसार में चुनौतियाँ (उत्पादन में कमी, अधिक लागत, किसानों में जागरूकता की कमी)
- निष्कर्ष (Conclusion): जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक उपाय
📝 मॉडल उत्तर (Model Answer)
भूमिका:
जैविक खेती (Organic Farming) एक प्राकृतिक कृषि पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के स्थान पर जैविक साधनों का उपयोग किया जाता है। भारत में जैविक खेती का महत्व लगातार बढ़ रहा है।
मुख्य भाग:
❗ जैविक खेती के लाभ:
- 🌱 मृदा की उर्वरता में वृद्धि: जैविक खादें जैसे गोबर खाद, वर्मीकंपोस्ट मृदा की गुणवत्ता बनाए रखते हैं।
- 🍎 स्वास्थ्य लाभ: जैविक उत्पादों में रसायन मुक्त होने के कारण स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- 🌍 पर्यावरण संरक्षण: जैविक खेती से भूमिगत जल एवं पारिस्थितिकी तंत्र सुरक्षित रहता है।
✅ जैविक खेती के प्रसार में चुनौतियाँ:
- 🚜 उत्पादन में कमी: जैविक विधियों से उत्पादन दर में गिरावट हो सकती है।
- 💰 अधिक लागत: जैविक उत्पादों के उत्पादन में अधिक लागत आती है।
- 🧑🌾 जागरूकता की कमी: किसानों को जैविक खेती की तकनीकों की जानकारी का अभाव है।
निष्कर्ष:
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रशिक्षण, सरकारी अनुदान तथा उचित बाजार मूल्य की व्यवस्था आवश्यक है। जैविक खेती भारत के कृषि क्षेत्र में टिकाऊ विकास के लिए एक महत्वपूर्ण समाधान है।
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