प्रश्न 1:
“ई-गवर्नेंस सुशासन का माध्यम कैसे बन सकता है? भारत सरकार द्वारा अपनाई गई प्रमुख ई-गवर्नेंस पहलों का मूल्यांकन कीजिए।”
GS पेपर – II | टॉपिक: सुशासन, पारदर्शिता और जवाबदेही
प्रश्न में क्या पूछा गया है?
- 💻 ई-गवर्नेंस का सुशासन से संबंध
- 📲 प्रमुख सरकारी पहलों का मूल्यांकन
उत्तर की रूपरेखा:
- 📘 परिभाषा – ई-गवर्नेंस
- 🌟 लाभ – पारदर्शिता, दक्षता, भागीदारी, पहुंच, निगरानी
- 🧰 उदाहरण – डिजिटल इंडिया, उमंग, जीईएम, सीपीजीआरएएमएस, भीम
- 📊 मूल्यांकन – सफलताएं, सीमाएं, सुधार की दिशा
- ✅ निष्कर्ष
मॉडल उत्तर:
परिचय
ई-गवर्नेंस (e-Governance) का तात्पर्य सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के माध्यम से प्रशासन, नागरिकों और सेवाओं के बीच पारदर्शी, सुगम और सहभागितापूर्ण संबंध बनाना है। यह सुशासन (Good Governance) की नींव को मजबूत करता है।
ई-गवर्नेंस से सुशासन में सुधार
- ई-गवर्नेंस के माध्यम से सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आती है, जिससे भ्रष्टाचार में कमी आती है।
- सेवाओं की प्रतिक्रिया समय (response time) घटती है, जिससे दक्षता बढ़ती है।
- नागरिकों की सहभागिता बढ़ती है, क्योंकि जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होती है।
- सेवाएँ 24×7 उपलब्ध होती हैं, जिससे भौगोलिक और समय संबंधी सीमाएँ समाप्त होती हैं।
- डेटा विश्लेषण और स्मार्ट निगरानी प्रणाली के माध्यम से जवाबदेही को मजबूती मिलती है।
प्रमुख ई-गवर्नेंस पहलें
- डिजिटल इंडिया मिशन – समग्र डिजिटल ढाँचा और सेवाओं की पहुंच को प्रोत्साहन।
- UMANG ऐप – एकल प्लेटफॉर्म से 200+ सरकारी सेवाओं तक पहुंच।
- GeM (Government e-Marketplace) – सरकारी खरीद की प्रक्रिया में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा।
- CPGRAMS – नागरिक शिकायत समाधान प्रणाली।
- BHIM UPI, DigiLocker, Aarogya Setu जैसे नवाचार डिजिटल सशक्तिकरण के उदाहरण हैं।
मूल्यांकन
- डिजिटलीकरण से सेवाओं की पहुंच और गति बढ़ी है, परंतु डिजिटल डिवाइड समस्या बनी हुई है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और डिजिटल साक्षरता की कमी से नागरिक लाभ नहीं उठा पाते।
- साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता पर पर्याप्त ध्यान देना अभी भी शेष है।
- योजनाओं की राज्यवार कार्यान्वयन में भिन्नता विकास की असमानता को जन्म देती है।
- फिर भी, ई-गवर्नेंस ने “Minimum Government, Maximum Governance” की अवधारणा को सार्थक रूप दिया है।
निष्कर्ष
ई-गवर्नेंस एक सशक्त, पारदर्शी और उत्तरदायी शासन प्रणाली का आधार बन चुका है। यदि इसे सामाजिक समावेशन, डिजिटल साक्षरता, साइबर सुरक्षा से जोड़ दिया जाए, तो यह जन-भागीदारी वाले लोकतंत्र की दिशा में बड़ी छलांग होगी।
प्रश्न 2:
“भारत में जनसंख्या वृद्धि की समस्या एवं इससे उत्पन्न चुनौतियों की विवेचना कीजिए। साथ ही इस समस्या से निपटने हेतु नीति सुझाव प्रस्तुत कीजिए।”
GS पेपर – I (Indian Society) | GS पेपर – II (Health & Policy)
प्रश्न में क्या पूछा गया है?
- 👨👩👧👦 जनसंख्या वृद्धि की समस्या को स्पष्ट करना है
- ⚠️ प्रभाव और चुनौतियों को सूचीबद्ध करना है
- 🛠️ सुझाव देने हैं
उत्तर की रूपरेखा:
- 📊 स्थिति – वर्तमान आंकड़े
- 🚫 चुनौतियाँ – संसाधन, बेरोजगारी, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शहरों पर दबाव
- 📘 सरकारी प्रयास – परिवार नियोजन, जन जागरूकता
- 💡 सुझाव – शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, सेवा पहुंच, कानून, तकनीक
- ✅ निष्कर्ष
मॉडल उत्तर:
परिचय
भारत वर्तमान में विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है। जनसंख्या वृद्धि यदि अनियंत्रित रहे, तो यह विकास, संसाधन प्रबंधन और सामाजिक स्थायित्व के लिए चुनौती बन सकती है।
प्रमुख चुनौतियाँ
- अत्यधिक जनसंख्या के कारण खाद्य, जल, ऊर्जा और भूमि जैसे संसाधनों पर दबाव बढ़ जाता है।
- बेरोजगारी और गरीबी की दर में वृद्धि होती है, जिससे सामाजिक असंतोष पनपता है।
- शहरीकरण की गति अनियंत्रित हो जाती है, जिससे झुग्गियाँ, कचरा और यातायात जैसी समस्याएँ बढ़ती हैं।
- स्वास्थ्य सेवाओं पर भार बढ़ने से कमजोर वर्ग सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
- शिक्षा व पोषण स्तर प्रभावित होता है, जिससे मानव पूंजी का विकास बाधित होता है।
सरकारी प्रयास
- परिवार नियोजन कार्यक्रम (Family Planning) वर्षों से चलाया जा रहा है।
- मिशन परिवार विकास उच्च प्रजनन दर वाले जिलों में लक्षित प्रयास करता है।
- जनगणना, NFHS जैसे सर्वेक्षणों से नीति निर्माण के लिए आँकड़े एकत्र किए जाते हैं।
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से जनसंख्या नियंत्रण सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
नीतिगत सुझाव
- महिला शिक्षा को प्राथमिकता देने से प्रजनन दर में स्वतः गिरावट आती है।
- स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्तापूर्ण परामर्श सभी वर्गों तक पहुंचाना होगा।
- जनसंख्या नीति को राज्यवार परिभाषित कर क्षेत्रीय विविधता को ध्यान में रखना होगा।
- डिजिटल तकनीक का प्रयोग कर परिवार नियोजन सेवाओं को ग्रामीण क्षेत्र तक पहुंचाना चाहिए।
- यदि आवश्यक हो तो कानूनी रूप से दो बच्चों की नीति जैसे सुझावों पर सामाजिक संवाद हो सकता है।
निष्कर्ष
जनसंख्या भारत की सबसे बड़ी पूंजी भी हो सकती है – यदि उसका शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास के साथ दोहन किया जाए। अन्यथा यह विकास की गति में बाधा बन सकती है।
अगले दिन के लिए अभ्यास प्रश्न – 15 अप्रैल 2025
प्रश्न 1:
“भारत में क्षेत्रीय असमानता के कारणों की विवेचना कीजिए। इसके दुष्परिणामों और समाधान हेतु उपायों की भी चर्चा कीजिए।”
(GS Paper I – Indian Society & Regional Development)
प्रश्न 2:
“भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की भूमिका और उसकी वर्तमान सीमाओं का मूल्यांकन कीजिए। साथ ही इसे अधिक प्रभावी बनाने के उपाय सुझाइए।”
(GS Paper II – Welfare Schemes | Governance | Poverty & Hunger)
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