अब प्रस्तुत है —
NCERT कक्षा 11 – भारतीय आर्थिक विकास की Summary Book का
अध्याय 5: ग्रामीण विकास
भाग 1 – जिसमें हम समझेंगे ग्रामीण विकास का महत्व, इसकी प्रमुख चुनौतियाँ, और ग्रामीण संरचना से जुड़ी नीतियों का परिचय — सरल भाषा, इमोजी और बिंदुवार तालिकाओं सहित।


📘 अध्याय 5: ग्रामीण विकास

भाग 1: परिभाषा, उद्देश्य और प्रमुख घटक


🔰 परिचय

  • भारत की लगभग 65% जनसंख्या गाँवों में निवास करती है
  • स्वतंत्रता के बाद भारत की विकास रणनीति में ग्रामीण क्षेत्र की समृद्धि को मुख्य आधार माना गया।
  • ग्रामीण विकास का अर्थ है —
    “गाँवों में जीवन स्तर को ऊँचा उठाना, आधारभूत ढाँचा, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि सुधार, और आयवृद्धि सुनिश्चित करना।”

1️⃣ 🎯 ग्रामीण विकास के उद्देश्य

उद्देश्यविवरण
🚜 कृषि सुधारउत्पादकता और सिंचाई का विस्तार
🛣️ बुनियादी ढाँचासड़क, बिजली, जल आपूर्ति
🏥 स्वास्थ्य सेवाप्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना
📚 शिक्षासाक्षरता और स्कूली नामांकन
💼 आयवृद्धिस्वरोज़गार और आजीविका कार्यक्रम
🧑‍🌾 सामाजिक समावेशनगरीब, महिलाओं, पिछड़े वर्गों को सशक्त बनाना

2️⃣ 🌾 भारत की ग्रामीण संरचना: मुख्य विशेषताएँ

पहलूस्थिति (वर्ष 2000 तक)
👥 जनसंख्या65% से अधिक ग्रामीण
🚜 कृषि पर निर्भरता70% जनसंख्या कृषि पर निर्भर
🏠 संसाधनों की स्थितिसीमित भूमि, जल और निवेश
💰 गरीबीउच्च स्तर की ग्रामीण निर्धनता
🛣️ अवसंरचनासंचार, सड़क, बिजली की भारी कमी

3️⃣ 🧱 ग्रामीण विकास के प्रमुख घटक

📌 मुख्य क्षेत्र जिन्हें मजबूत करने की आवश्यकता है:

  1. कृषि और संबंधित गतिविधियाँ – जैसे पशुपालन, मछली पालन
  2. ग्रामीण ऋण और बैंकिंग सुविधाएँ
  3. बाजार और विपणन व्यवस्था
  4. स्वास्थ्य, स्वच्छता और शिक्षा सुविधाएँ
  5. स्वरोज़गार योजनाएँ व महिला सशक्तिकरण
  6. ग्रामीण संरचना: सड़क, बिजली, इंटरनेट, आवास

📊 तालिका: ग्रामीण क्षेत्र की प्रमुख समस्याएँ

समस्याकारण
❌ कम कृषि उत्पादकतापरंपरागत तरीके, सिंचाई की कमी
❌ कर्ज़ का बोझगैर-संस्थागत स्रोतों से ऋण
❌ विपणन की समस्याबिचौलियों का शोषण
❌ गरीबी व बेरोज़गारीसीमित संसाधन, कौशल की कमी
❌ महिला व पिछड़े वर्ग की उपेक्षासामाजिक बाधाएँ, अवसरों की कमी

अब तक आपने सीखा:

  • ग्रामीण भारत को विकसित करना सतत व समावेशी विकास के लिए अनिवार्य है।
  • ग्रामीण विकास कृषि सुधार, आयवृद्धि, शिक्षा-स्वास्थ्य और संरचना सुधार जैसे अनेक पहलुओं को समाहित करता है।
  • इसकी चुनौतियाँ जटिल हैं, जिनके लिए बहुआयामी रणनीतियाँ आवश्यक हैं।

➡️ अगले भाग (भाग 2) में हम पढ़ेंगे:

  • ग्रामीण ऋण और संस्थानों की भूमिका
  • विपणन, SHG, और सरकारी योजनाएँ
  • निष्कर्ष और परीक्षा उपयोगी तथ्य

क्या अब अध्याय 5 – भाग 2 प्रस्तुत करूँ?

अब प्रस्तुत है —
NCERT कक्षा 11 – भारतीय आर्थिक विकास की Summary Book का
अध्याय 4: भारत की विकास रणनीति – योजना और औद्योगीकरण
भाग 1 – जिसमें हम समझेंगे स्वतंत्र भारत में औद्योगीकरण की आवश्यकता, राज्य की भूमिका, और औद्योगिक नीतियों की दिशा — सरल भाषा, इमोजी और सारगर्भित तालिकाओं सहित।


📘 अध्याय 4: भारत की विकास रणनीति – योजना और औद्योगीकरण

भाग 1: औद्योगीकरण की आवश्यकता और राज्य की भूमिका


🔰 परिचय

  • स्वतंत्रता के बाद भारत के सामने सबसे बड़ी प्राथमिकता थी – स्वावलंबी, टिकाऊ और संतुलित विकास
  • केवल कृषि आधारित अर्थव्यवस्था से आगे बढ़ने के लिए औद्योगीकरण आवश्यक था।
  • औद्योगीकरण को योजनाओं के ज़रिए राज्य-प्रायोजित मार्ग से अपनाया गया।

1️⃣ 🏭 औद्योगीकरण क्यों ज़रूरी था?

📌 मुख्य कारण:

कारणविवरण
🚜 कृषि पर निर्भरता अधिक थी75% से अधिक जनसंख्या कृषि पर निर्भर
🧱 उत्पादन सीमितकृषि उत्पादन मौसम पर निर्भर, अनिश्चित
🏗️ औद्योगिक उत्पादनरोज़गार और पूंजी निर्माण के लिए ज़रूरी
🧠 तकनीकी विकासआधुनिकता, नवाचार और आत्मनिर्भरता
🌍 वैश्विक प्रतिस्पर्धाविश्व बाज़ार में टिकने के लिए औद्योगिक आधार ज़रूरी

2️⃣ 🏢 राज्य की भूमिका (Role of the State)

🎯 सरकार के उद्देश्यों:

  1. भारी व बुनियादी उद्योगों की स्थापना
  2. निजी क्षेत्र को मार्गदर्शन देना
  3. संसाधनों का न्यायसंगत वितरण
  4. क्षेत्रीय असमानता को कम करना
  5. सामाजिक कल्याण व नियोजित विकास

3️⃣ 🗂️ औद्योगिक नीति संकल्प 1956 (Industrial Policy Resolution, 1956)

📜 मुख्य विशेषताएँ:

  • भारत के औद्योगिक विकास की रीढ़ की नीति मानी गई।
  • इसे भारतीय समाजवाद की आर्थिक नींव कहा गया।
क्षेत्रनीति दिशा
🏭 भारी उद्योगसार्वजनिक क्षेत्र के अधीन
🏢 निजी उद्योगसरकार के नियमन में, सीमित स्वतंत्रता
📊 श्रेणियाँउद्योगों को 3 भागों में बाँटा गया –
I – केवल सार्वजनिक क्षेत्र,
II – सार्वजनिक + निजी दोनों,
III – केवल निजी (लाइसेंस अनिवार्य)

📊 तालिका: 1956 की औद्योगिक नीति की संरचना

श्रेणीउद्योगस्वामित्व
Group Iरक्षा, रेलवे, परमाणु ऊर्जाकेवल सार्वजनिक क्षेत्र
Group IIइस्पात, कोयला, मशीनरीसरकारी नेतृत्व, निजी भागीदारी संभव
Group IIIउपभोक्ता वस्तुएँ, खाद्य प्रसंस्करणनिजी क्षेत्र (सरकारी लाइसेंस के साथ)

अब तक आपने सीखा:

  • भारत ने औद्योगीकरण को समावेशी विकास का आधार माना।
  • सरकार ने औद्योगिक नीति 1956 के ज़रिए नियोजित, संतुलित और समाजवादी औद्योगीकरण की शुरुआत की।
  • औद्योगिक संरचना को तीन श्रेणियों में बाँटकर राज्य और निजी क्षेत्र की भूमिका तय की गई।

➡️ अगले भाग (भाग 2) में हम पढ़ेंगे:

  • सार्वजनिक उपक्रमों की भूमिका
  • औद्योगीकरण की चुनौतियाँ
  • नीति की सफलताएँ व विफलताएँ
  • निष्कर्ष व परीक्षा उपयोगी तथ्य

क्या अब अध्याय 4 – भाग 2 प्रस्तुत करूँ?

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